वियोग का वक्त


1) मुझे अध्ययन का रोग है,
इससे निजात पाकर मेरी रूह वशीभूत हो जाएगी|

2) जब मैंने प्रिय से विनती की
तो प्रिय ने मुझे लताड़ दिया,
जब मैंने प्रेम से विनती की
तो प्रेम ने मुझे अपना लिया|

3) कहने को बहुत कुछ था
पर सुनाने को था बस एकांत
एकांत से बोलकर मैं एकांत में जा बसा,
अंतराल में , मैं बस त्र|सदी का हो  गया  |

4) मृत्यु लोक  में  मुझे दानवो से ना लगा इतना डर  ,
जितना जीवन काल में मुझे मनुष्यो ने डराया है।

5)वास्तविकता   ने मुझे कल्पनाशील रहने की शामता प्रदान की,
आवेग ने मुझे सफर की प्रतिष्ठा लाकर दी,
वक्त ने मुझे रूपांतरित होने का गुण सिखाया,
प्रेम ने मुझे, मृत्यु से पहले,अपने अंत की और पहुचाया
वियोग ने मुझे, भाव विरह की चेतना से जागृत किया,
अंततः, मेरी प्रेरणा ने ही, ज्ञान  के मार्ग पर मेरा साथ निभाया।

लीज़ा शर्मा

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