आत्मा से परमात्मा का द्वार

आत्मा से परमात्मा का द्वार


मेरे अवचेतन मन की चेतना का ये सवाल है कि चेतना को क्या ये ज्ञात है कि वो अवचेतन मन से जन्मी है?
और अगर उसे ये ज्ञात है तो क्या वह आत्मज्ञाता हो चुकी है?
अंततः, ज्ञानोदय (enlightenment) की समीक्षा ही निर्वाण की प्राप्ति है या निर्वाण ही ज्ञानोदय का फल है, पर अगर ऐसा है तो,
तो भ्रमज्ञान क्या है?
भ्रमज्ञान भ्रम-निर्वाण है या आत्मन (soul) का ब्रह्मण में आलिंगन?
तो मेरा सवाल ये है कि परमात्मा का बोध आत्मचेतना नहीं तो क्या अन्वेषण का द्वार है?


Leeza 

Comments

Popular Posts